यह गीत, श्रीकृष्ण शर्मा के गीत-संग्रह - " बोल मेरे मौन से लिया गया है -
हतभागी एक शिखर
तुम क्यों इस तरह मुझे,
देख रहे भाई ?
मैं भी तो तुम - सा हूँ
एक आम आदमी,
एक क्या हजारों हैं
मुझमें भी तो कमी,
लेकिन मैं बाहर जो
हूँ वैसा ही भीतर,
अभिशापित बस्ती का
हतभागी एक शिखर,
जिसको दिन ने मारा,
रातों ने पर जिसकी
आरती सजाई !
तुम क्यों इस तरह मुझे,
देख रहे भाई ? **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा
मोबाईल नम्बर - 9414771867
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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