यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
साथ किसका दूँ ?
... और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं ||
आँख के आकाश में बस आज केवल ,
मृत्यु के बादल सघन गहरा रहे हैं |
... और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं !!
हँस रही मेरे अधर पर रेख नीली ,
आज अंतिम बार मेरी आँख गीली ,
मैं झरूँगा आज पतझर - पात - जैसा ,
इसलिए ही स्यात् मेरी देह पीली ,
रो रहे दुख साथ थे जो एक युग से ,
अब निराश्रित और बेघरबार हो कर ,
अब व्यथा ही रो रही है आठ आँसू ,
मैं जिसे लाता रहा दिन - रात ढो कर ,
साथ किसका दूँ , कहो जब आज मेरे ,
प्राण ही मुझको स्वयं बिसरा रहे हैं ?
... और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं || **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , फोन नम्बर – 9414771867
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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