यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
क्या करूँ मैं
मत करो अब आज तो उपहास !
वेदना के सिंधु में जब डूब ,
आज गीली हो गई हर साँस !
मत करो अब आज तो उपहास !!
मौन ने बंदी किये हैं होंठ ,
नीड़ आँखों को बनाए ओस ,
दृष्टि में बैठी हुई है धुंध ,
भाग्य का मुझ पर बड़ा आक्रोश ,
और अपनों की परिधि से दूर ,
मैं बहिष्कृत औ' बहुत मजबूर ,
मिल न पाया आस का भी स्पर्श ,
तोड़ मुझको हँस रहे संघर्ष ,
क्या करूँ मैं , क्या करूँ मैं आज ?
जब तुम्हारे भी ह्रदय से बंधु ,
ले चुकी संवेदना सँन्यास !
मत करो अब आज तो उपहास !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
धन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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