यह कविता , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " ( काव्य - संकलन ) से ली गई है -
औरत ( 2 )
धरती
जब वनस्पति बनी
और उसकी सुगन्ध
फूल ,
- जंगल उसे लील गया |
किन्तु
फैलती रहीं उसकी जड़ें
आर - पार
जंगल के ,
और अब -
वह एक औरत है |
पर जंगल
आज भी नहीं हट रहा ,
... उसे घेरे हुए -
जंगल कट रहा है |
जंगल बढ़ रहा है | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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