यह गीत , कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " से लिया गया है -
कुछ क्षण के पश्चात
दो क्षण बरसा मेह रे !!
किन्तु तरसता रह गया ,
जीवन भर को नेह रे !
दो क्षण बरसा मेह रे !
सजल - सजल - सी चाँदनी ,
उन्मद - उन्मद रागिनी ,
दाग - दगीला चन्द्रमा ,
मेघिल - तन्द्रित यामिनी ,
कुछ क्षण के पश्चात् ये ,
ढल जायेगी रात ये ,
रह जायेंगे कसकते ,
मन में बस ज़ज्बात ये ,
मिट जायेगा फिर सभी ,
जब सुलगेगी देह रे !
दो क्षण बरसा मेह रे !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत बहुत सुन्दर गीत।
ReplyDeleteआदरणीय आलोक सिन्हा जी , आपको बहुत धन्यवाद |
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