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28.8.21

पवन शर्मा की कविता - " हौसला "

 यह कविता , पवन शर्मा की पुस्तक -  " किसी भी वारदात के बाद "    ( कविता - संग्रह )   से लिया गया है -











हौसला 


देखो , तुम सब लोग 

आँखें खोलकर देखो 

और सुनो उसकी चीखें 

क्या तुम्हें नहीं लगता कि

उसकी चीखों से आसमान फट पड़ेगा 

तार - तार हो गए हैं उसके कपड़े 

और शरीर से रिस रहा है खून 

बिलबिला रहा है 

कोलतार की सड़क पर पड़ा 


देखो तुम सब लोग 

कैसी मर्दानगी दिखा रहा है 

मूँछें ऐंठ रहा है और सड़क पर 

बार - बार डंडा पटक रहा है 

लगता है 

मांद से शेर निकल कर 

घूम रहा है 

बिछा दिया है उसने सड़क पर 

एक भरा - पूरा आदमी 

ऐसे ही तो बिछाते थे क्रूर शासक 

अपनी निरीह प्रजा को 


हैरान हूँ मैं 

तार - तार आदमी 

थरथराता हुआ खड़ा हो गया है फिर 

मुमकिन है 

उसकी शिराओं में रक्त 

जैसे मुरझाया पौधा पानी पाकर 

तन रहा है -- आंधी के मुकाबले के लिए 

उसकी शिराओं में 

अजीब हौसला बहने लगा है   **


                                   - पवन शर्मा 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

2 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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  2. धन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |

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