यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
छुअन सिहराती नहीं
मैं यहाँ हूँ
आज
सबसे परे !
छुअन
सिहराती नहीं
मुझको ,
सिसक
बिखराती नहीं
मुझको ;
सहज स्वर
संवेदना के मरे !
हो गया क्या ?
जो हवा चुप है ,
धूप - दिन का मन
तिमिर - घुप है ;
पर तुम्हारे साथ के
वे दृश्य ,
अब कुछ और भी निखरे ! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय आलोक सिन्हा जी , आपको बहुत धन्यवाद |
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