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30.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " छुअन सिहराती नहीं "

 यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -












छुअन सिहराती नहीं 


मैं यहाँ हूँ 

आज 

सबसे परे !


छुअन 

सिहराती नहीं 

मुझको ,

सिसक 

बिखराती नहीं 

मुझको ;


सहज स्वर 

संवेदना के मरे !


हो गया क्या ?

जो हवा चुप है ,

धूप - दिन का मन 

तिमिर - घुप है ;


पर तुम्हारे साथ के 

वे दृश्य ,

अब कुछ और भी निखरे !    **


                          - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

2 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर

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  2. आदरणीय आलोक सिन्हा जी , आपको बहुत धन्यवाद |

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