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25.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " तुम गये तो "

 यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -















तुम गये तो 


बन्धु मेरे ,

तुम बिना पिघले नहीं 

मेरे अँधेरे !


तुम गये तो 

गया दिन भी ,

ज्योति रह पायी नहीं 

फिर एक छिन भी ;


किन्हीं तहखानों हुए 

बन्दी उजेरे ,

बन्धु मेरे !


ढले काँधे ,

विन्ध्य - जैसा बोझ लादे ,

मर गये संघर्ष में 

पुख्ता इरादे ;


छिने मौरूसी हक़ों वाले 

हमारे स्वर्ण डेरे ,

बन्धु मेरे !   **


                    - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


2 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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  2. आदरणीय आलोक सिन्हा जी , आपको बहुत - बहुत धन्यवाद |

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