कश्मीर का दर्द
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जन्नत का चैन सुकून लगे,अब फिर से लौट के आयेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,इतिहास भुला ना पायेगा।।
कितनी सूनी हुई गोद, राखी की मिटि कलाइयाँ थी।
सिन्दूर तरसता रहा माँग,मातम की बस परछाइयाँ थी।।
नन्ही सी जान यूँ बिलखे ,माँ का प्यार सुला ना पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,इतिहास भुला ना पायेगा।।
अब तक तो खेली थी होली, खून भरी पिचकारी से।
गद्दारों ने बहुत डराया, पत्थर की बम बारी से ।
अब की बार जो करी,हिमाकत कोई छुड़ा ना पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,इतिहास भुला ना पायेगा।।
बहुत हो गई आँख-मिचौनी,अब तो दुश्मन को देख लिया।
करता चिकनी चुपड़ी बातें, ढोंगी का तूने भेष लिया।।
ऐसी आग देंगे हम, कोई बुझा ना पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे , इतिहास भुला ना पायेगा।।
घाटी में अब ना रण होगा ,खिलती यूँ ही रहेंगीं वादियाँ।
ना कोई गद्दार बनेगा गूँजेंगी फिर शहनाईयाँ ।।
लहराएगा सदा तिरंगा, कोई झुका ना पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे ,इतिहास भुला ना पायेगा।।
जन्नत का चैन सुकून लगे,अब फिर से लौट के आयेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे, इतिहास भुला ना पायेगा।।
-सुन्दर लाल मेहरानियाँ 'देव '
अलवर,राजस्थान
(शायर, कवि व गीतकार)
7891640945
slmehraniya@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
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