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13.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " अँधेरे में "

 यह कविता , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " ( कविता - संग्रह ) से लिया गया है -
















अँधेरे में 


रात है ,

चाँद है ,

तारे हैं ,

- अँधेरे में 

डूबे हुए |


रात है ,

चाँद है ,

तारे हैं ,

- अँधेरे में 

ऊबे हुए |  **


         - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


2 comments:

  1. आज कल हर कोई उबा हुआ ही है । भावपूर्ण

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  2. आदरणीय संगीता स्वरुप जी आपको कविता पसंद आई इसके लिए आपको बहुत - बहुत धन्यवाद | आपने सही कहा मनुष्य का जैसा मन होता है , प्रकृति भी हमें वेसी ही दिखाई देती है |

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