तम का बादल
कैसा तम का बादल छा गया
मानव जीवन बदहाल हुआ
आँंखो से अश्क बह रहा
अधरों का मुस्कान गुम हुआ
खुशियाँ न जाने कहाॅं छुप गई
कैसा तम का बादल छा गया
मानव में न अब मानवता रहा
कालाबाजारी सब कर रहा
एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहा
अपना राजनीति चमका रहा
कैसा तम का बादल छा गया
दवा,ऑक्सीजन सब आ रहा
न जाने रास्ते में कहां गुम हो रहा
रोगी को कुछ न मिल रहा
एकाई को दहाई में बदल रहा
कैसा तम का बादल छा गया
विपदा में भी शैतान सब लूट रहा
अमीर गरीब सब परेशान हो रहा
सुविधा न लोगों को मिल रहा
अभाव से सब मर रहा
कैसा तम का बादल छा गया
समय बहुत खराब है
खुद सब को संभलना होगा
द्वेष को त्याजना होगा
मानवता का अलख जगाना होगा
कैसा तम का बादल छा गया
बीमारी न पहचान कर आती है
न जात धर्म से है मतलब इसको
स्नेह एक दूसरे से बनाये रखना
मानवता का प्रेम जगाये रखना
कैसा तम का बादल छा गया
मानव जीवन बदहाल हुआ **
- संगीत कुमार वर्णबाल
जबलपुर
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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