यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ " ( लघुकथा - संग्रह ) से लिया गया है -
स्थाई तल्खी
“ आज मि.बर्मन आनेवाले हैं | तुम और दफे की तरह बाहर नहीं निकल जाना|” घर में घुसती हुई रमा कहती है |
मि. पाण्डेय कुछ नहीं कहते | रमा की तरफ देखने के बाद मुँह दूसरी ओर कर लेते हैं – सड़क की ओरवाली खिड़की की तरफ , “ तुम्हीं ने कहा होगा उससे आने के लिए | ”
“ वो मेरे बाँस हैं | इधर किसी के यहाँ
आनेवाले हैं , सो कह दिया कि घर आना | ”
“ बाँस हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि
... | ”
“ तुम्हें क्या मालूम | काम तो मैं ही करती हूँ उनके अण्डर | ”
मि. पाण्डेय खिड़की की सलाखों पर हाथ
टिकाकर बाहर देखने लगते हैं | एक अजीब – सी बेचैनी मन में होने लगती है उनके | रमा
की कमाई पर पलते हुए मि. पाण्डेय की स्थिति दयनीय है |
अचानक बाहरवाले कमरे से चीखने–चिल्लाने की आवाजें आने लगती हैं | रमा आवेश में बाहर निकलती है |
राकेश ने छुटकी के बाल हाथों में पकड़
रखे हैं |
रमा चीखती है , “ ये सब क्या हो रहा है ? ”
“ सबसे पहले इससे ये पूछो कि आज कॉलेज
के बहाने ये कहाँ घूम रही थी ? ” राकेश
तेज आवाज में बोला , “ दो बार देख चुका
हूँ उस लड़के के साथ – आज टॉकीज में | ”
“ तुझे क्या करना ...| ” छुटकी भी तेज आवाज में बोली |
“ जा मर ! ” चीखते हुए राकेश ने हाथ में पकड़े छुटकी के बाल झटके
से छोड़ दिए | छुटकी भीतरवाले कमरे में भाग जाती है |
मि. पाण्डेय खिड़की की सलाखों को छोड़
कमरे की दीवारों को ध्यान से देखने लगते हैं | यह बैठने का कमरा है – जिसमें सोफे ,
कुर्सियाँ , मेज , अलमारी , किताबें हैं | यह कमरा एक समय साफ – सुथरा था , पर कई
वर्षों की आर्थिक कठिनाइयों से अब सब पर धूल की तरह जम गई है | दीवारें मटमैली हो
गई हैं |
मि. पाण्डेय सोचते हैं – पत्नी कमाती है ... वे उसके ऑफिस के पुरुष मित्रों को भी जानते हैं ... सब जानते हैं ... कह नहीं पाते ... | रमा की ही तर्ज पर अब छुटकी चलने लगी है ... राकेश छुटकी को रोकना चाहता है ... पर राकेश की एक नहीं चलती ... क्योंकि पूरे दिन बेकार बैठा वह फिल्मी पत्रिकाओं से हीरोइनों के चित्र काटता रहता है ... सभी एक – दूसरे से कटे हुए हैं ... एक – दूसरे से बात करना पसन्द नहीं करते ... घर की हवा तक में उस स्थायी तल्खी की गन्ध है , जो चारों के मन में भरी हुई है | वे महसूस करते हैं कि ऊब , घुटन , आक्रोश , विद्रूपता , दम घोंटनेवाली मनहूसियत – जो मरघट में होती है , इस घर में है | **
- पवन शर्मा
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
आभार और धन्यवाद सुनील जी 🌷🌷
ReplyDeleteसुप्रसिद्ध लघुकथाकार पवन भाई का ब्लॉग ह्रदय से आभार प्रकट करता है और हमेशा की तरह स्वागत करता है |
Deleteबहुत सुन्दर
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