इसे कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है | यह इस पुस्तक की भूमिका है -
मेरी छोटी आँजुरी
आस्थाओं का हिमवान
भूमिका ( भाग - 8 )
भाग - 7 का अंश -
...चिथड़े – चिथड़े हो चुका ,
बदलो सभी प्रबन्ध |
संविधान में हैं लगे , जगह – जगह पैबन्द || ...
भाग - 8
कागज पर जंगल खड़े , कितना
बड़ा कमाल |
स्याही में लहरा रहे खेत
खींचते ताल ||
अन्त में एक उदाहरण और –
घर में बैठी मुश्किलें , दुख
अभाव औ’ भूख |
आजादी की राह में , हुई कहाँ
पर चूक ||
‘ मेरी छोटी आँजुरी ’ का एक – एक दोहा
देश की एक – एक नयी से नयी समस्या की ओर हमारा ध्यान खींचता है | अतः एक भी पक्ष
उपेक्षणीय नहीं है , यहाँ उन सब को मूल पाठ में पढ़ने के लिए ही प्रकाशित किया गया है
| यदपि ये सभी प्रश्न ऐसे हैं , जो विवेकशील व्यक्तियों के सामने प्रतिदिन उपस्थित
होते हैं , उन्हें साहित्य में सामने लाकर कविवर शर्मा जी ने युग का इतिहास रच
दिया है | बुराई बुराई है , अच्छाई अच्छाई | इतिहासकार को कोई हक़ नहीं कि वह उसके
साथ मनमानी और छेड़छाड़ करे जैसा कि हम आजकल देख पाते हैं | इतिहास के प्रश्नों को
लेकर जिस प्रकार की राजनितिक उठा – पटक आज हो रही है , उससे श्रीकृष्ण शर्मा आहत
हैं | पढ़े – लिखे लोगों के बुद्धि – विवेक पर भी प्रश्न उठाये गये हैं | हम शिक्षा
देकर नयी पीढ़ी को गुमराह करने पर आमादा हैं –
अच्छा हो या हो बुरा ,
राजनीति का रास |
घटित हुआ जो कुछ उसी का लेखा
इतिहास ||
इस मुर्दा इतिहास को , कुछ
कहते हैं झूठ |
आपस में फैला रहा , घृणा
द्वेष औ’ फूट ||
मन में घोले हैं जहर , होठों
मगर मिठास |
ऐसे लोगों ने किया , दूषित
सब इतिहास ||
दो कौमों के बीच में , सुलगाता
है आग |
भूलो इस इतिहास को , छिड़ा
हुआ है राग ||
कविवर शर्मा जी सफलता और असफलता के प्रति
सार्थक दृष्टिपात करते हए अनुभव का निचोड़ कहते हैं –
मत तू मन में गर्व कर , मत
कर व्यर्थ विषाद |
तू तो पथ की धूल है , कौन
रखेगा याद ||
असफलता पर क्यों भला , मचता
है यों शोर |
मोती लेकर क्या सभी , आते
गोताखोर ||
कवि की इन पंक्तियों को पढ़कर अंग्रेज
कवि मिल्टन का स्मरण हो आना स्वाभाविक है | वह महत्वाकांक्षी था किन्तु यह निर्णय
नहीं कर पाता था कि क्या रचूँ , जो मेरी कृति अमर हो जाये | वह सफल न हो सका
किन्तु एक हादसे ने उसके जीवन को नयी दिशा प्रदान की | वह अपनी आँखें खो बैठा |
अंधेपन ने उसमें ‘ पैराडाईज लॉस्ट ’ लिखने की प्रेरणा जगाई और वह काव्य जगत में
अमर कृति देने में सफल हुआ | उसकी काव्य पंक्ति प्रसिद्ध है कि जो प्रतीक्षा करता
है , वह भी सेवा करता है | महत्व सफलता या असफलता का न होकर कर्मनिष्ठा का होता है
|
‘ मेरी छोटी आँजुरी ’ दोहों की नयी
श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी सिद्ध होगी | आगरा की वैष्णव संस्कृति की छाप कवि
और उसकी कविता पर पूरी तरह विद्यमान है | एक ओर शौर्य और दूसरी ओर दैन्य इस भूमि
की मिट्टी की विशेषताएँ हैं | कविवर शर्मा जी उत्तराखण्ड की शस्यश्यामलता और सौम्य
शांतता के सच्चे उत्तराधिकारी हैं | भाषा के तेवर ग्रंथ के गहन अध्ययन , नेकनीयती
और स्वच्छ जीवन मूल्यों को वहन करने में सक्षम है | शब्द संपदा शर्मा जी के गंगा –
यमुनी संस्कारों से स्नात है , अतः उल्लास , उमंग और लालित्य का वरण करने वाला
उनका यह काव्य रसिकों के मन को रस में सराबोर कर जीवन को सुखों से भर देगा | आने
वाली पीढ़ियाँ हिन्दी को समझें , पढ़ें और यदि उसके गौरव को आज की पीढ़ी सहेज कर रख
सकी तो भविष्य निश्चित ही उज्जवल होगा , ऐसा विश्वास है | परमात्मा के विश्वासी
कवि अपनी इस कृति से अपार यश प्राप्त करेगा , इसमें संदेह नहीं है | सार्थक सामजिक
ललित व्यंजनापूर्ण आदर्श और यथार्थ का परिपाक प्रस्तुत करने के लिये कवि को बधाई
देना हमारा परम कर्तव्य है |
इत्यलम | **
- डॉ0
योगेन्द्र गोस्वामी
‘ आनन्द वृन्दावन ’
बी – 166 , सूर्यनगर ,
गाजियाबाद – 201011
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
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