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25.4.21

पवन शर्मा की लघुकथा - " बोझ "

 यह लघुकथा ,  पवन शर्मा की पुस्तक - " मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ " से ली गई है -




बोझ

 

इन दिनों वह बेहद मानसिक तनाव में जी रहा है | जीए भी तो क्यों नहीं ! घर में डॉ जवान बहनों को पाल रहा है | अपने भी तो दो बच्चे हैं | अच्छा हुआ कि उसने नसबन्दी करवा ली , नहीं तो उसका बड़ा लड़का भी उसी की तरह चार बहनों के बीच अकेला रहता | महानगर में जैसे – तैसे गुजारा चल रहा है | कहीं भी बात जम नहीं रही है | जम जाए तो दोनों बहनें और निपट जाएँ | ऑफिस में अपर डिवीजन की हैसियत ये तक नहीं है कि अपनी बहनों के लिए लोअर डिवीजन क्लर्क भी खोज सके | डिमाण्ड दस – पन्द्रह के नीचे नहीं उतर रही है |

          आज फिर एक पत्र ने उसे मानसिक तनाव से ग्रसित कर दिया | मना कर दिया है |

          “ स्साले ! ”  वह झल्लाया ... किसके ऊपर ... पता नहीं !

          “ इधर सुनिए न | ”  भीतर से पत्नी ने आवाज लगाई |

          “ क्या है ? ”  वह अन्दरवाले कमरे में घुसते हुए बोला |

          “ ये गेहूँ का बोरा उठवा के पलंग के नीचे रखवा दीजिये जगह घिरी हुई है | ”  पत्नी ने कहा |

          उसने पत्नी के साथ गेहूँ का बोरा उठाना चाहा | चवालीस साल की उम्र जवाब देने लगी | बोरा उठ नहीं पाया |

          बोरा उठाने का प्रयास करती हुई पत्नी हाँफती – हाँफती बोली ,  “ देखो कल मँझली की एग्जामिनेशन फीस जमा करनी है | कल आखिरी दिन है , नहीं तो परीक्षा में नहीं बैठ पाएगी | ”

          “ देखो – देखो , अब मुझसे इतना बोझ नहीं उठ सकता ! ”

          वह न जाने किस जुनून में झल्ला गया ... झल्लाता ही गया ! ”  **


                                                    - पवन शर्मा 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


2 comments:

  1. बढ़िया है, मेरी पसंदीदा लघुकथा है.

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