यह गीत , कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
दीवार न ढाओ !
मैं मन पर पत्थर रख लूँगा ,
यदि तुमको जाना है , जाओ !
लेकिन आँसुओं से धीरज की
रेतीली दीवार न ढाओ !
शूल तुम्हारे पथ में होंगे ,
उठे धूल के बादल होंगे ,
आँधी - पानी धूप और लू
घायल मन , ऊबे पल होंगे ;
पर बिछुड़न से टूटे प्रण ये ,
सूनेपन से झुलसे क्षण ये ,
कहते - आँसुओं की बदली में ,
मेरी ज्योति तनिक मुस्काओ !
मैं मन पर पत्थर रख लूँगा ,
यदि तुमको जाना है , जाओ !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
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