लहजे में मीठापन जिसके
लहजे में मीठापन जिसके , फ़ितरत में ग़द्दारी है
पहले नंबर उसकी यारी , दूजी दुनियादारी है
इतना भी मत सोचो जानी !, जज़्बातों की क़द्र करो
याद करो बाबा कहते थे, 'दिल दिमाग़ पे भारी है'
गोया मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन ही ग़ायब
थी
कोई कल ये पूछ रहा था , मरने की तैयारी है ?
कल दुनियाँ से धूल न चटवा दी तो नाम बदल देना
माना आज सिफ़र हैं लेकिन मेहनत अपनी जारी है
सदियों पहले कोई आशिक़ दफ़्न किया था , उस जा पे
कुछ को आग समझ आती है , कुछ कहते चिंगारी है
हम फ़कीरों की क्या तैयारी , जब आना आ जाए मौत
न तो अपना सूटकेस है , न कोई अलमारी है
हम - तुम घर से
भागके जानाँ ! ट्रेन में पकड़ाए अफ़सोस !
अपनी बाज़ी हार गए हम , अब दुनिया
की बारी है **
- अजय
विश्वकर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
वाह्ह्ह्ह
ReplyDeleteलाजवाब शेर 👌👌
पर गज़ल बेबह्र हो गई जी