यह कुण्डलिया , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है ... " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
बनी बाँसुरी आजादी
भाग - ( 1 )
जनता के दुख - दर्द का , जिन्हें नहीं अहसास |
बता रहे खुद को वही , हम हैं ख़ासमख़ास ||
हम हैं खासमखास , हमीं जनसेवक , भाई |
जन - जन की कर रहे , देख लो , हम अगुआई ||
करते कुछ बदनाम , सिरफिरे बात बना के |
सच पूछो तो हमीं हितैषी इस जनता के || **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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