यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
तेरे बिन ओ मीता !
आँखों में रात गयी ,
पथ तकते दिन बीता ,
तेरे बिन ओ मीता !
अंधकार के घर से
सुबह निकल आयी है ,
पूरब ने कंधों पर
रोशनी उठायी है ;
किन्तु दिखी नहीं कहीं
सपनों की परिणीता !
इन्द्रधनुष थे लेकिन
इंतजार में टूटे ,
कर डाले सारे सच
उदासियों ने झूठे ;
शहर सभी सूना है ,
भरा - भरा मन रीता ! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
ReplyDeleteआपका ह्रदय से आभार आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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