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21.3.21

पवन शर्मा की लघुकथा - " सारी रात "

 यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " ( लघुकथा - संग्रह ) से लिया गया है -





                                   सारी रात 


गर्मी की उमस थी , सब लोग छत पर बैठे खाना खा रहे थे |

          मैं कई दिन बाद घर आया हूँ | पिताजी पूछते जा रहे थे -  ' क्या हाल है ? ... कैसा चल रहा है ? ...  सब ठीक तो है न ? ... बहू - बच्चों को ले आता तो ठीक रहता ... बहुत दिन हो गए उन्हें देखे बिना ... मन दौड़ता रहता है बच्चों के पीछे ... | ' 

          मैं हाँ ... हूँ में उत्तर दे रहा था |

          मेरी थाली में रोटी ख़त्म देखकर माँ ने पूछा ,  ' रोटी रखूँ '

          ' नहीं ... पेट भर गया | '   कहते हुए मैंने थाली पर अपने हाथ रख लिए |

          ' एक रोटी ले ले न ! '   माँ ने आग्रह किया |

          मैंने फिर सिर हिलाकर मना कर दिया |

          ' ले - ले ... तू लेगा , तो मैं भी एक रोटी और ले लूँगा | '    पिताजी बोले |

          ' एक तो क्या आधी भी नहीं चल पायेगी | '    मैंने साफ़ मना कर दिया |

          ' तेरी मर्जीं ... !    पिताजी ने कहा |

          थोड़ी देर बाद हम लोग खाना खाकर उठ गए |

          मुझे सारी रात नींद नहीं आई | लगता रहा कि मैंने पिताजी को खाने की थाली पर से भूखे पेट उठा दिया है !  **


                                    - पवन शर्मा  

                                                                              

श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय

जुन्नारदेव , जिला – छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )

फोन नम्बर –   9425837079

Email –    pawansharma7079@gmail.com 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.  

3 comments:

  1. धन्यवाद सुनील जी, लघुकथा को प्रकाशित करने के लिए.

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    Replies
    1. इस शानदार लघुकथा के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई |

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