यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ " से ली गई है -
पहली बार
ट्रेन सीटी देती है , फिर
प्लेटफ़ॉर्म पर धीरे – धीरे रेंगने लगती है | वह देखता है डिब्बे के दरवाजे पर खड़े
हुए कि प्लेटफ़ॉर्म की भीड़ में अम्मा और बाबूजी के हाथ उठे हुए हैं – विदा देते हुए
|
जब प्लेटफ़ॉर्म निकल जाता है तब वह
पत्नी के पास आकर बर्थ पर बैठ जाता है | बाहर सब – कुछ पीछे छूट जाता है ... अम्मा
भी ...बाबूजी भी... |
“ आज बाबूजी बहुत चुप थे | पता नहीं
क्यों ? ” वह कहता है |
“ शायद अपन लोगों के आने की वजह से | ” पत्नी कहती है |
“ हो सकता है | आज सुबह मुझसे कह रहे
थे कि नरेन तुझसे बहुत जरुरी बात कहनी है , वर्षा के बारे में | सम्बन्ध तो तय हो
गया है , किन्तु ... | समझ नहीं पाया मैं | क्या कहना चाहते थे ? शायद ये कि वर्षा
की शादी तुम्हारे बिना सम्भव नहीं है | कहते क्यों नहीं | कम – से – कम कहना तो
चाहिए | मेरा ऐसा समझना कहाँ तक सही है , कह नहीं सकता | ”
“ तुम क्यों नहीं समझ पाते | तुम तो
समझदार हो | कोई छोटे बच्चे तो नहीं | सभी बात क्या बाबूजी अपने मुँह से ही कहें ,
तभी तुम करोगे ! ” पत्नी कहती है |
अचानक उसे लगा कि सचमुच सभी बात बाबूजी
ही कहेंगे , तभी वो करेगा , वैसे नहीं | वह क्यों नहीं समझ पाया अभी तक ? क्या इसी
वजह से अम्मा और बाबूजी उसे पहुँचाने आए थे स्टेशन ... पहली बार ! **
- पवन शर्मा
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान )
, फोन नम्बर
– 9414771867.
धन्यवाद सुनील जी, लघुकथा को प्रकाशित करने के लिए.
ReplyDeleteये ब्लॉग आपका बहुत - बहुत आभारी है , आदरणीय पवन शर्मा जी |
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