" सिर झुका है किताब के आगे "
हर्फ़ सूरत का भेस धारे हैं
सिर झुका है किताब के आगे
ख़्वाब दर
ख़्वाब नींद के आगे
पूछना था कि ख़्वाब के आगे?
अपने बच्चों का
पासबां बनकर
वो खड़ा है अज़ाब के आगे
कौन पूछेगा ? कौन दीवाना ?
मर गया इज़्तिराब के आगे
मैं ही हूं माहताब के पीछे
मैं ही हूं आफ़ताब के आगे
अनहलक़ कहके चुप
रहा कोई
क्या कहे इस जवाब के आगे
उसके हाथों
का लम्स पाने को
गिर पड़े सब नक़ाब के आगे **
-अजय विश्वकर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय आलोक सिन्हा , आपको धन्यवाद |
ReplyDeleteआप दोनों विद्वान कवियों का बहुत बहुत आभार,आप बड़ों का आशीर्वाद बना रहे🙏🙏
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