" सिक्का उछाला गया " ( ग़ज़ल )
एक सिक्का
उछाला गया है
फ़ैसला कल
पे टाला गया है
शे'र काली घटाओं पे लिक्खे
गेसुओं पे
हवाला गया है
योजना गांव
तक कब है पहुंची
पेट तक कब
निवाला गया है
अपनी मर्ज़ी
से भागे नहीं हम
हमको घर
से निकाला गया है
एक ख़त ले
उड़ा इक कबूतर ,
शे'र लेकर रिसाला गया है
हौले - हौले ' अजय ' रात आई
रफ़्ता-रफ़्ता
उजाला गया है **
-अजय विश्वकर्मा
मण्डी बमोरा,जिला -विदिशा,मध्यप्रदेश
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत सराहनीय गजल
ReplyDeleteआदरणीय आलोक सिन्हा जी , आपको धन्यवाद |
Deleteजी हार्दिक आभार इस मुहब्बत के लिए
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