यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
घट रही हैं
घट रही हैं
लोमहर्षक
रोज घटनाएँ |
चोरियों की ,
लूट की
तो बात मामूली ,
हो गयी अपहरित
भोली औ ' सुघर जूली ;
और
चौरस्ते सरेबाज़ार
हत्याएँ |
लग रहा
हम रह रहे हैं
एक जंगल में ,
श्वान के स्वर तक
जहाँ डूबे अमंगल में ;
प्रश्न
कैसे नागपाशों से
निकल पाएँ ? **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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