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27.2.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की - " पीठिका " ( भाग - 5 )

 यह पीठिका , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -






                    पीठिका ( भाग - 5 )

देवेन्द्र जी आशंकित थे कि कहीं मैंने लिखना तो बन्द नहीं कर दिया | इसलिए वे बार – बार लिखते रहे कि मैं लिखना बन्द न करूँ और अपनी पूर्व – लिखित रचनाओं को पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशनार्थ भेजता रहूँ | मैं कृतज्ञ हूँ अभिन्न बन्धु पं0 देवेन्द्र शर्मा ‘ इन्द्र ’ के प्रति कि उनकी प्रेरणा से ही 1986 में पत्र – पत्रिकाओं से मेरा पुनः जुड़ाव हुआ |



( भाग – 5 )

 

          यद्यपि इस सम्पूर्ण अवधि के दौरान मेरा लेखन बन्द नहीं हुआ था , फिर भी लेखनी के बल पर अर्जित मेरी पूर्व साहित्यिक पहचान प्रकाशन के अभाव में पच्चीस वर्षों की इस सुदीर्घ निर्वासन -  अवधि के गहन अतल में कहीं खो गयी | मैं यह भलीभाँति जानता था कि साहित्य – जगत में अब मेरा लौटना उतना आसान नहीं है , किन्तु मैं हारा नहीं | इस लम्बी खाई को पाटने के लिए मैं नये सिरे से भग्न सेतु के पुनर्निर्माण में जुट गया | फिर से मैं रचनाएँ भेजने लगा और वे पत्र – पत्रिकाओं में छपने लगीं | उनके माध्यम से अनेकानेक सृजन – रत संवेदनशील रचनाकारों से सम्पर्क स्थापित हुआ , जिनमें अधिकांश से स्नेह – सम्बन्ध और आत्मीयता है |

          मैं 2001 में अड़सठ वर्ष की उम्र में मध्यप्रदेश साहित्य परिषद् के आर्थिक सहयोग से ही ‘ अक्षरों के सेतु ’ के निर्माण में सफल हो पाया | मेरे इस प्रकाशित काव्य – संग्रह में 1965 से 1976 के मध्य लिखी कविताओं में से बावन चयनित कविताएँ संग्रहित हैं | फिर फरवरी 2006 में कहीं जाकर मेरी सर्जना पर ‘ फागुन के हस्ताक्षर ’ हो पाये | इस गीत संग्रह में 1954 से 1965 की अवधि में लिखे गीतों में से चवालीस गीत और एक लम्बी शोकान्तिकी संकलित है | ... और अब मेरे समक्ष है ‘ एक नदी कोलाहल ’ , यथार्थ का भयावह दौर | आम आदमी के सामने उपस्थित एक कठिन और बेहद चुनौतीपूर्ण समय जिसमें उसकी अस्मिता दाँव पर लगी है | इस नवगीत – संग्रह में 1964 से 1995 की अवधि में लिखे नवगीतों में से चुने हुए कुल सैंतालीस नवगीत संग्रहीत हैं | ( सूचनार्थ निवेदन है कि दुर्भाग्यवश 1981 से 1990 की अवधि में लिखी मेरी रचनाओं की कॉपी बाहर आते – जाते समय यात्रा के दौरान कहीं छूट गयी , गिर गयी अथवा किसी ने चुरा ली , ज्ञात नहीं है | खैर ... ) इन गीतों में मौजूद हालात , इन हालातों के लिए उत्तरदायी नेतृत्व व व्यवस्था और उनसे पीड़ित आदमी का दर्द तो है ही , संघर्ष हेतु आमजन का आह्वान और आशावादी स्वर भी इनमें व्यंजित है | उसे उकेरने और अभिव्यक्त करने के प्रयास में , मैं किस सीमा तक सफल हुआ हूँ , इसका आकलन और निर्णय करना तो सुधि सहृदय पाठकों के अधिकार – क्षेत्र में है |

          इन गीतों को इतने सुन्दर रूप में आपके हाथों तक पहुँचाने में प्रिय बन्धु श्याम जी ( ‘ निर्मम ’ ) और उनके सुयोग्य पुत्र प्रिय पराग कौशिक ( नियामक अनुभव प्रकाशन ) की मुख्य भूमिका है | अतः उनके प्रति अनुग्रहित हूँ | अन्त में आदरणीय अग्रजों , अपने समवय मित्रों और अनुजों , जिनसे मुझे प्रेरणा , स्नेह , सम्मान और आत्मीयता मिलती रही है , के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ |  **

 

                                   -  श्रीकृष्ण शर्मा            


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


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