यह कविता , पवन शर्मा की पुस्तक - " किसी भी वारदात के बाद " ( कविता - संग्रह ) से लिया गया है -
खिड़कियों से झाँकते पिता
पत्थर उछालते हैं बच्चे
देखते हैं पत्थर की ऊँचाई
उनकी आँखों में उतर आता है
पूरा आसमान !
बच्चे खेलते हैं गेंद
करते हैं हँसी ठिठोली
दूर से देखते हैं नंग –
धड़ंग बच्चे
उग आती है
उनके पूरे जिस्म में भूख !
सूखी लकड़ियाँ इकट्ठी करते
हैं बच्चे
खेलते – खेलते
लगातेहैं आग
उठती है लपट
बच्चे खुश होते हैं
बजाते हैं ताली !
खेलते – खेलते जिद करते हैं
बच्चे
पहाड़ पर चढ़ने की
छूना चाहते हैं
सूरज को
लीलना चाहते हैं
खिड़कियों से झाँकते हैं
बच्चों के पिता
घर में हाजिर हो जाने का
हुक्म
जारी कर देते हैं
बच्चे घर में दाखिल नहीं
होते
चढ़ जाते हैं पेड़ पर
कुतरने लगते हैं
पेड़ की पत्तियां
और
खोदने लगते हैं
जड़ !
खिड़कियों से झाँकते
बच्चों के पिता
फटी – फटी आँखों से
देखते रह जाते हैं **
- पवन शर्मा
---------------------------------------------------
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत बहुत धन्यवाद सुनील जी मेरी कविता प्रकाशित करने के लिए... ये मेरी पसंदीदा कविता है.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुनील जी मेरी कविता प्रकाशित करने के लिए... ये मेरी पसंदीदा कविता है.
ReplyDeleteस्वागत है आपका हमेशा |
Deleteबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय प्रस्तुति
ReplyDeleteआदरणीय आलोक सिन्हा जी , आपको बहुत - बहुत धन्यवाद |
Delete