यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " से ली गई है -
लोकतंत्र
‘ ऐ , सवारियों को उतारकर
गाड़ी थाने में लगा | ’
‘ क्यों साहब ? ’
‘ मैं कह रहा हूँ | गाड़ी साइड में खड़ीं कर
सवारियाँ उतार दे | ’
‘ मेरी गाड़ी में परमिट से भी कम सीट
बैठी हैं हुजूर | ’
‘ चुप रह जुबान मत चला | ’
‘ क्या कारण है ? हम लोगों को बेवजह
परेशान कर रहे हैं | हमारे साथ छोटे – छोटे बच्चे हैं ’ एक यात्री ने कहा |
‘ हम आपकी परेशानी समझ रहे हैं , पर
क्या करें ... ऊपर का ऑर्डर है | ’
‘ कैसा ऊपर का ऑर्डर ? ’
कल मंत्री जी का दौरा है | ’
‘ उनके दौरे से गाड़ियों का क्या संबंध
? ’
‘ कल इन गाड़ियों को गाँव – गाँव भेजा
जाएगा | ’
‘ क्यों ? ’
‘ इन गाड़ियों से गाँव वालों को लाया
जाएगा | ’
‘ किस वजह से ? ’
‘ ताकि मंत्री जी के प्रोग्राम में
खासी भीड़ जुटा सकें ! ’ **
- पवन शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
सुन्दर
ReplyDeleteइस ब्लॉग की यह लघुकथा आपको पसंद आई , इसके लिए आपका बहुत - बहुत आभार आदरणीय आलोक सिन्हा जी |
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