जागृति
लालटेन हाथ में पकड़े बड़ी
मूँछ वाला उसके आगे चल रहा था | पीछे दो और व्यक्ति थे | लालटेन की पीली रोशनी में
उन चारों के पाँव के उठने और गिरने की छाया बन और बिगड़ रही थी | पथरीली ढलान वाले
रास्ते को पार कर वे एक मकान में घुस गए | पुनः बड़ी सी दालान पार कर वे हॉल में आ
गए | पेट्रोमेक्स की रोशनी में बेलजीभाई को देखकर वह विस्मित हो गया |
बेलजीभाई को घेरे तीन व्यक्ति और बैठे
थे |
‘ आओ बिसराम भाई ... बैठो ... बड़ी देर
से तुम्हारी राह देख रहे हैं हम | ’ बेलजीभाई ने कहा |
वह एक खाली कुर्सी पर बैठ गया और बोला ,
‘ क्यों याद किया हमको ? ’
बेलजीभाई मुस्कराए , ‘ चुनाव नजदीक हैं
... हम फिर इस बार चुनाव लड़ रहे हैं | ’ बेलजीभाई अपने गंजे सिर पर हाथ फिराते हैं
, ‘ आदिवासी – हरिजनों के सारे वोट हमें मिलने चाहिएँ | ’
बेलजीभाई की बात सुनकर वह चुप रहता है |
पैट्रोमेक्स की रोशनी लप – लप कर रही थी |
बेलजीभाई उसकी चुप्पी देख कहते हैं , ‘
हम जानते हैं कि तुम्हारे बाप का प्रभाव आस – पास के दस – बारह गाँवों पर है |
तुम्हारा बाप जिधर कहेगा , उधर ही बोट डलेंगे | हम हारना नहीं चाहते | दिल्ली जाकर
फिर से राज करना चाहते हैं | ’
वह फिर चुप रह गया | उसे चुप देख बेलजीभाई
अपनी गोटी बिठाने की कोशिश करते है , ‘ हम वायदा करते हैं बिसराम भाई कि ... | ’
बेलजीभाई की बात पूरी भी नहीं हो पाई
कि वह न जाने किस जुनून में चीख उठता है , ‘ मत करो हम आदिवासियों से झूठे वायदे ...
विस्थापितों को नौकरी दिलवायेंगे ... पानी का प्रबंध करेंगे ... सड़क बनवायेंगे ...
स्कूल खोलेंगे ... कहते – कहते वह हाँफने लगा ... ‘ पिछली बार भी वायदा किया था ...
क्या हुआ ... कुछ भी नहीं ... हम जहाँ थे ... वहीँ रहे ... हाँ , तुमको जरुर हमने
दिल्ली पहुँचा दिया था | ’
बेलजीभाई फटी – फटी आँखों से उस एम. ए. पास आदिवासी युवक को देख रहे थे | वह लम्बे – लम्बे डग भरता हॉल से बाहर निकल गया | **
- पवन शर्मा
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
धन्यवाद सुनील जी.
ReplyDeleteआपमें याक कह कर मेरा उत्साहवर्धन किया है |आप जैसे साहित्यकार पाकर यह ब्लॉग धन्य हुआ है |धन्यवाद |
ReplyDeleteअच्छा ही नहीं सच्चा प्रसंग है |
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