यह प्रस्तुति , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से ली गई है -
“ ते हि नो दिवसाः गताः ” और “ फागुन के हस्ताक्षर ”
… पिछले दिनों जिस प्रकार छ्न्दोमुक्त नयी कविता
लिखने की बाढ़ आयी थी , …
( भाग – 8 )
उसी प्रकार अज जिसे देखो वह
छन्द की कविता , विशेषकर गीत लिखने की वकालत करने पर बद्धपरिकर है , चाहे उसे छन्द
की सही जानकारी हो अथवा नहीं हो | छन्द से सम्यक परिचय न आज सम्पादकों का है , न
अध्यापकों या समीक्षकों का ही ; अनेक गीतकार इन दिनों सदोष और भग्न छन्दों में
लेखन कर रहे हैं , किन्तु शुद्ध छन्द की कसौटी पर श्रीकृष्ण के गीत सोलहों आने खरे
उतरने वाले हैं | इन गीतों के बीचों – बीच एक कविता है ‘ अम्मा ’ शीर्षक , जिसका
उल्लेख किये बिना यह आलेख अधूरा ही कहा जायेगा | ‘ अम्मा ’ का उपरी कलेवर निराला
कृत ‘ सरोज – स्मृति ’ की भाँती वृत्तात्मक होकर भी अपने आन्तरिक आत्मीय रूप में
नितान्त गीतात्मक है | ‘ सरोज – स्मृति ’ जैसा कवि का आत्मीय स्पर्श और आद्योपांत
ह्रदय – द्रावक कारुण्य – भाव इस कविता में भी देखते ही बनता है |
कि बहुना , अभी भाई श्रीकृष्ण द्वारा
रचित अधिकांश गीत – साहित्य अप्रकाशित है , उस पर कोई निर्णय दे पाना कदाचित
शीघ्रता होगी | वे हमारी पीढ़ी के एक सर्वगुण सम्पन्न गीतकार हैं , जिनमें आसानी से
कोई कमी अथवा त्रुटि खोज पाना बड़े – से बड़े आलोचक के लिए एक चुनौती भरा कार्य होगा
|
मैं इन शब्दों के साथ पं. श्रीकृष्ण
शर्मा के प्रस्तुत गीत – संग्रह ‘ फागुन के हस्ताक्षर ’ का अभिनन्दन करता हूँ | **
- देवेन्द्र शर्मा ‘ इन्द्र ’
10/61 सेक्टर – 3 ,
राजेन्द्र नगर , साहिबाबाद ,
गाजियाबाद – 201005 ( उ0 प्र0 )
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
धन्यवाद विवरण के लिए
ReplyDeleteजी धन्यवाद | आपको पसंद आया , इसके लिए | आपका इस ब्लॉग में हमेशा स्वागत है |
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