पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " से ली गई है
बाप , बेटे और माँ
बूढ़ा बाप दर्द के मारे
दुहरा हो गया और पेट पकड़कर बिस्तर पर बैठ गया | तीनों बेटे पलंग के पास अपने बाप
को देख रहे थे | तीन दिन से यही हाल है | बड़ा बेटा डॉक्टर की सलाह पर जो भी दवा –
गोली दे देता , बाप खा लेता , पर दर्द कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था |
‘ आज बड़े अस्पताल ले चलते हैं पिताजी
को – इलाज करवा लें | ’ बड़ा बेटा बोला |
‘ और नहीं तो क्या – कहीं कुछ हो गया
तो दुनियाँ कुछ से कुछ बोलेगी | ’ छोटे
बेटे ने कहा |
बाप का दर्द जरा कम हुआ | वह सीधा होकर
पलंग पर बैठ गया | उसने पीने के लिए पानी माँगा | छोटा बेटा दौड़ कर एक गिलास पानी
ले आया | बाप ने गट – गट करते पूरा गिलास खाली कर दिया |
‘ तू चले जाना पिताजी के साथ अस्पताल |
आज मुझे ऑफिस जल्दी जाना है | ’ बड़े बेटे
ने छोटे बेटे से कहा |
‘ मैं ’ छोटा बेटा चौंका |
‘ और नहीं तो क्या ... तू ही चला जा |
आज मुझे भी काम है , नहीं तो मैं ही चला जाता | ’
मँझले बेटे ने बड़े बेटे का समर्थन किया |
‘ पर मैं तो आज तक अस्पताल नहीं गया –
और फिर मैं अकेला कैसे संभाल पाउँगा पिताजी को | ’ छोटे बेटे ने कहा |
‘ तो फिर पिताजी को कौन ले जाएगा ? ’ मँझले बेटे ने प्रश्न किया|
तीनों बेटों ने एक - दूसरे की तरफ देखा
|
‘ तुम लोग परेशान मत होओ ... मैं
तुम्हारी माँ के साथ चला जाऊँगा|’ बाप
ने धीमें स्वर में कहा |
तीनों बेटों के सिर पर से जैसे रखा मनो
वजन हट गया हो ! **
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बहुत बहुत धन्यवाद सुनील जी,,, लघुकथा प्रकाशित करने के लिए 🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुनील जी,,, लघुकथा प्रकाशित करने के लिए 🙏
ReplyDeleteस्वागत है |
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