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26.10.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " दीपक - सा जलता चल ! "

 श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -








दीपक – सा जलता चल !

 

              अँधियारा गहरा है ,

           दूर पर सवेरा है ,

हिम्मत मत हार अरे , दीपक – सा जलता चल !

 

अम्बर के आँगन में चाँद नहीं आया है ,

तारों का मन भी अब लगता घबराया है ,

दृष्टि फेर ली है अब , गोरी किरणों ने भी ,

उजियारा अब जैसा – बन गया पराया है ,

          मावस का पहरा है ,

          तिमिर – सिन्धु लहरा है ,

हिम्मत मत हार अरे , दीपक – सा चलता चल !

 

बदल – बदल कर त्यौरी , आ रही हवाएँ हैं ,

स्याही का कफन ओढ़ सो रही दिशाएँ हैं

व्याकुल है गगन , अवनि आकुल उजियारे को ,

लेकिन ये काजल की , बरसाती घटाएँ हैं ,

          रात की जवानी है ,

          तुझे सुबह लानी है ,

पकड़ किरण का आँचल , भोर तलक चलता चल !

हिम्मत मत हार अरे , दीपक – सा जलता चल !!

 

इन तम के पृष्ठों पर , लिख प्रकाश के अक्षर ,

सूने की स्याही में भर दे तू ज्योतिर्स्वर ,

ज्वाला का यज्ञ रचा , रात ये सिन्दूरी हो ,

दीप – दीप महक उठे , दीपों के उत्सव पर ,

          छेड़ दीप राग नवल ,

          दीपशिखा हो उज्जवल ,

रात यह सुहागिन हो , पूनम – सा खिलता चल !

हिम्मत मत हार अरे , दीपक – सा जलता चल !! **



    - श्रीकृष्ण शर्मा 





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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


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