श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
दीपक – सा जलता चल !
अँधियारा गहरा है ,
दूर पर सवेरा है ,
हिम्मत मत हार अरे , दीपक –
सा जलता चल !
अम्बर के आँगन में चाँद
नहीं आया है ,
तारों का मन भी अब लगता
घबराया है ,
दृष्टि फेर ली है अब , गोरी
किरणों ने भी ,
उजियारा अब जैसा – बन गया
पराया है ,
मावस का पहरा है ,
तिमिर – सिन्धु लहरा है ,
हिम्मत मत हार अरे , दीपक –
सा चलता चल !
बदल – बदल कर त्यौरी , आ
रही हवाएँ हैं ,
स्याही का कफन ओढ़ सो रही
दिशाएँ हैं
व्याकुल है गगन , अवनि आकुल
उजियारे को ,
लेकिन ये काजल की , बरसाती
घटाएँ हैं ,
रात की जवानी है ,
तुझे सुबह लानी है ,
पकड़ किरण का आँचल , भोर तलक
चलता चल !
हिम्मत मत हार अरे , दीपक –
सा जलता चल !!
इन तम के पृष्ठों पर , लिख
प्रकाश के अक्षर ,
सूने की स्याही में भर दे
तू ज्योतिर्स्वर ,
ज्वाला का यज्ञ रचा , रात
ये सिन्दूरी हो ,
दीप – दीप महक उठे , दीपों
के उत्सव पर ,
छेड़ दीप राग नवल ,
दीपशिखा हो उज्जवल ,
रात यह सुहागिन हो , पूनम –
सा खिलता चल !
हिम्मत मत हार अरे , दीपक –
सा जलता चल !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
---------------------------------------------------------------------------------------------
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
सुन्दर गीत।
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद आदरणीय जी |
ReplyDelete