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16.10.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " हमको न ऐतराज़ "

 श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से ली गई कविता -











हमको न ऐतराज़

 

आप रहते रहें शीर्ष पर , हमको न ऐतराज़ ,

हम हमको नीचे , नीचे , कहीं रहने दीजिये !

 

हम तलघरे में झोंपड़े में

या कि सड़क पर ,

गर रात बिताते रहे

तो आपका क्या हर्ज ?

 

हम बैठे रहे घास पर

या बैठे बेंच पर ,

ये जानकार क्यों आपका

यों बढ़ रहा है मर्ज ?

 

आप बैठे हैं , बैठे रहें , हमको न ऐतराज़ ,

पर हमको तो लहरों में जरा बहने दीजिये !

 

हम खेल रहे आग से

लोहे को झेलते ,

उससे हुई है आपकी

सेहत ये क्यों ख़राब ?

 

हमको न सूखी रोटी

आप चर रहे तर माल ,

फिर भी है हरारत

और आप ले रहे जुलाब ;

 

आप तन से औ ’ मन से थके , हमको न ऐतराज़ ,

पर हमको तो इस यज्ञ में कुछ दहने दीजिये ! **


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


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