यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
कवि श्रीकृष्ण शर्मा |
कौन बँटायेगा चिन्ता ?
एक ही दिशा अपनी
उसमें भी अंधकार ,
घबराकर एक हुए
घर , पौली और द्वार |
तय था यह पहले ही
अँधियारा होना है ,
सूरज के अस्थि – खण्ड
सारी रात ढोना है ;
फिर किस उजाले का ,
मन को है इंतजार ?
कौन बँटायेगा चिन्ता ?
सिर्फ़ है अकेलापन ,
दूर तलक फैला है
मरुथल –सा गूंगापन ;
सिर्फ याद पसरी है ,
आँगन में तन उधार | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
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