हिंदी जिंदगी है मेरी
( विधा : घनाक्षरी छंद )
हिंदी से जिंदगी में सरलता सबलाता जी,
पूर्ण आत्मा सहज संस्कार लगने लगी।
पूर्ण आत्मा सहज संस्कार लगने लगी।
मुरझाई थी सुमन कहीं जिंदगी की मेरी,
तो हिंदी ही जीने का आधार लगने लगी।
तो हिंदी ही जीने का आधार लगने लगी।
पढ़ पढ़ के अंग्रेजी खुद से बिछड़ गया,
तो हिंदी जीने का व्यवहार लगने लगी।
तो हिंदी जीने का व्यवहार लगने लगी।
अनबन खटपट होने लगी जिंदगी में,
तब हिंदी ज़िन्दगी में प्यार लगने लगी।**
तब हिंदी ज़िन्दगी में प्यार लगने लगी।**
✍️ नंदन मिश्र
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
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