कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - " अँधेरा बढ़ रहा है " से लिया गया है -
" संध्या " – (एक)
बैठ गयी है
ऊपर चढ़ कर धूप
नीम पर ,
लेकिन
साड़ी का पल्लू
लटका मुंडेर पर |
दिन भर
चल कर थका
और माँदा ये सूरज ,
फिसला चला जा रहा
घाटी की ढलान से |
खेत चुग रहे पाखी
अब उड़ चले गगन में ,
जब कि चलायी गोफन
संध्या ने मचान से |
बोझिल क़दमों लौट रही है
हवा भीलनी ,
अपने आँचल में
मादक महुआ समेट कर |
घनी झाड़ियों
अलसाया – ऊँघता पड़ा था
दिन भर रीछ – सरीखा तम ,
अब बढ़ा आ रहा |
निकल – निकल कर
अन्दर से आ रहीं तरैयाँ ,
देख रहीं
नंगा जंगल
दूधों नहा रहा |
शहर बदर थी
जो वीरानी औ’ सूनापन ,
बस्ती में लाता
सन्नाटा उन्हें घेर कर | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
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