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कवयित्री - मोनिका महावर की कविता - " घोर अंधेरा है "












घोर अंधेरा है

घोर अंधेरा है चारों तरफ
तुम ये अंधेरी रात देखो,
भगवान भी बंद है तालों में

कुदरत की कयामत देखो ।


पूछो उनसे जाकर जो
खेल रहे हैं मौत से,
न उसके पास कोई विकल्प
और न ही कोई स्रोत है,
छाले पड गये है जिन हाथों में तुम्हारी
जिंदगी बचाने के लिए
इक बार जाकर तुम वो हाथ देखो।
भगवान भी ...................


सोचा न था कभी कि कोई
ऐसा दिन भी आएगा,
जल रही होगी चिता बाप की
और बेटा न पहुंच पाएगा,
उजड़ गए हैं जो परिवार
तुम उनके हालात देखो।
भगवान भी ....................


क्या मिलेगा तुम्हें मौत
से पंजा लडाकर,
रह जाओगे सिर्फ अपने
पंख फड़फड़ाकर,
कैसे गुजरेगी फिर वो
चौदह दिन की रात देखो।
भगवान भी..................


बंद हैं सब स्कूलें और
बंद महाविद्यालय हैं
इच्छा तो है जाने की
पर पैरों के ताले हैं ,
भर गया है मन छुट्टीयों से
अब आ रही स्कूल की याद देखो।
भगवान भी ..................... **

                      - मोनिका महावर 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

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