चाय में ज़हर
टूटा-फूटा छाता लिये बारिश में भीगता हूँ
जैसे कटा-फटा आसमान।
बचपन की पुरानी तंग गलियों से गुज़रता हूँ
जैसे घिसी हुई चप्पल।
साँसों का आरोह-अवरोह होता है
अधकटी गर्दन से।
चुनावी शोर में कानों पे हाथ रखता हूँ
जैसे पत्थर की मूर्ति।
पिघलता हूँ जैसे मोम, मुड़ता हूँ जैसे सड़क
अपना दिल हाथ में थामे घूमता हूँ।
सिर पे कफ़न बाँधे घर से निकलता हूँ
अपने टूटे दिल की ख़ाक़ छानता फिरता हूँ।
ज़िन्दा रहने के लिये लिखता हूँ
जैसे ज़हर भरा चाय का प्याला। **
- अयाज़ ख़ान
114 सग्गम
एमपी वार्ड 11
जुन्नारदेव 480551
ज़िला छिन्दवाड़ा
मध्य प्रदेश
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन
नम्बर– 09414771867
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