( प्रस्तुत लघुकथा – पवन
शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )
सूनी सड़क
दाढ़ी बनाकर घड़ी देखी – नौ
पैंतीस हो गए हैं | जल्दी – जल्दी काम निपटाने की सोचने लगा , नहीं तो ऑफिस के लिए
लेट हो जाऊँगा | कई दिन से ऑफिस में जमी ऑडिट – पार्टी अलग जान खा रही है |
‘ वह लड़का आया है | ’ पत्नी ने कहा |
मुझे लगा – मेरे हाथ – पैरों में जान
नहीं है | वह पहले भी तीन बार आ चुका है और मैं उससे मुँह चुरा रहा हूँ ... मालूम
नहीं क्यों | ’
बाहर ड्राइंग– रूम में आकर देखता हूँ – वह बैठा हुआ है | मुझे देखते ही वह उठकर खड़ा हो गया| मैं सोफे पर बैठ गया |
‘ अम्मा ने भेजा है आपके पास | ’ सत्रह
– अठारह साल का वह लड़का मेरे बिना कुछ कहे , कहता है |
‘ मैं चुप रहा | मुझे चुप देख थोड़ी देर
बाद वह फिर बोला , ‘ अम्मा को तो आप जानते
हैं न ? ’
‘ हाँ ! परसों छोड़कर गए तुम्हारे हाथ लिखवाई
तुम्हारी अम्मा की चिट्ठी मिली | ’ मैं
कहता हूँ |
एकाएक मुझे गाँव के किनारे , खेत के
बीचों – बीच पीपल के ऊँचे पेड़ के नीचे बना कच्चा मकान याद आ जाता है | उन बूढ़े
बाबा और बूढी अम्मा भी याद आती हैं , जिनके स्नेह से मैं आज भी सिक्त हूँ | बूढी अम्मा
के हाथ से बनी वे मोटी – मोटी मक्का की रोटी आज भी याद हैं | एम. एस. सी. फाइनल के
दिनों में अक्सर साइकिल से कॉलेज आते – जाते सुस्ताने के लिए रुका करता था ,
किन्तु इससे अलग बात थी – सिकती हुई सोंधी – सोंधी सुगंध वाली मक्का की रोटियाँ और
टमाटर की चटनी !
‘ घर की हालत बड़ी दयनीय है | ’ वह कह रहा है | मैं चौंकता हूँ - ‘ बाबा भी नहीं रहे | अम्मा हैं , सो वे भी
बिस्तर पकड़े हुए हैं | ’
‘ मैं कोशिश करूँगा कि कहीं छोटी –
मोटी नौकरी मिल जाए तुम्हें | ’ मैंने उस
लड़के को उसी प्रकार कहा , जैसे और लोगों को टालने वाले अंदाज में कहता हूँ |
‘ आपका अहसान ज़िंदगी भर ढोऊंगा | ’ उसके मन में आशा की किरण जागी , ‘ बाबा के बाद आप ही हैं मेरे | ’ कहता हुआ वह मेरे पैर छूता है और बाहर निकल
जाता है |
उसके जाने के बाद मैं सोफे पर निशांत –
शांत बैठा रहा | मन धुआँ – धुआँ होने लगा | थोड़ी देर बाद नज़र उठाकर मैंने देखा –
पत्नी सामने खड़ी थी , ‘ मैने उसे खाना
खाने के लिए तक नहीं पूछा राधा ... हम लोग ... मैं ... मैं ... | ’
मुझे लगता है कि मैं बूढी अम्मा की खाई
हुई मक्का की रोटी का ऋण कभी नहीं उतार सकता | एकाएक उठकर दरवाजे पर आता हूँ – सामने सड़क सुनसान थी | **
- पवन शर्मा
पता –
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
,
जुन्नारदेव , जिला -
छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन
नम्बर– 09414771867
धन्यवाद सुनील भाई... मेरी लघुकथाओं को स्थान देने के लिए 💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद सुनील भाई... मेरी लघुकथाओं को स्थान देने के लिए 💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद | स्वागत है |
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