कवि नेमीचंद मावरी " निमय " |
होनी चाहिए तालाबंदी
होनी चाहिए तालाबंदी,
हमारी बुराई की,
हमारी हीन भावनाओं की,
हमारी कृपणता की,
हमारी तृष्णा और मोह की,
हाँ ! तालाबंदी होनी चाहिए।
हमारे परहित उठे हाथ ना रुकें,
हमारे इरादे किसी के आगे ना झुकें,
लालच ना हो कभी मन में हमारे,
कभी एक कदम भी पाप की ओर ना डगें।
होनी चाहिए तालाबंदी!
हमारे स्वार्थ की,
हमारी रुग्णता की,
हमारी रोती आँखों की,
हमारे कलुषित आचरणों की,
हाँ! तालाबंदी होनी चाहिए।
हम जीयें मगर दूसरे के लिए,
हम बढ़ें मगर सर्वहित में,
हम त्यागें मगर परमार्थ के लिए,
हम सहें मगर हम पर निर्भरों के लिए,
होनी चाहिए तालाबंदी!
हमारे भोगों की,
हमारे असमय प्रेम प्रलापों की,
हमारे बेवक्त बेवजह विलापों की,
हमारे बेतुके बेमतलब के रागों की,
हाँ ! तालाबंदी होनी चाहिए। **
- नेमीचंद मावरी " निमय "
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
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