नेमीचंद मावरी " निमय " |
जिंदगी की सच्चाई
जहाँ कमाने की हमेशा उधेड़बुन सी रहती है,
सदा भागकर आगे रहने की धुन सी रहती है,
हफ्ते भर तक लोगों की जीन्स नहीं धुलती है,
ऑफिस-ऑफिस खेलने में जिंदगी निकलती है ।
रात के दो बजे तो लोगों की साँझ ढलती है,
तड़के चार बजे किसी की नींद नहीं खुलती है,
वो सपनों की दुनिया अब गूगल पर मिलती है,
इंटरनेट की दुनिया में अब टीवी नहीं चलती है।
जुगाली करने को अब चने की जगह तंबाकू है,
पब और पार्टियों में युवा पूरी तरह बेकाबू है,
कानून और कायदे केवल शरीफों पर लागू है,
फिसड्डी रहके भी नेता का बेटा बना बाबू है।
खेत खलिहानों में शॉपिंग बाजारों की बस्ती है,
आम आदमी की जिंदगी कुछ ज्यादा ही सस्ती है,
अधिकारों के हकदारों के गले में बँधी रस्सी है,
पहुँच उसी की सत्ता में जिसकी बड़ी हस्ती है।
ये वो दौर है जहाँ रोज कई कलियाँ मुरझाई है,
दारू पीकर लौटा मर्द खाता बीवी की कमाई है,
एक तरफ जिम्मेदारियां दूसरी तरफ महंगाई है,
मिठाई पसंद,करेला नहीं यही आज की सच्चाई है । **
- नेमीचंद मावरी " निमय "
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
सार्थक और सुन्दर।
ReplyDeleteदूसरे लोगों के ब्लॉग पर भी टिप्पणी किया करो।
आपके यहाँ भी कमेंट अधिक आयेंगे।
जी अपने सही कहा |
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