( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )
स्वतंत्रता का सूर्य
फिर पन्द्रह अगस्त आया है |
राख चढ़े अंगारों को फिर हवा
लगी है ,
मन के कोने में सोयी फिर
ख़ुशी जगी है ,
फिर सपनों से गोद भरी है आज
नींद की ,
रमजानों के बाद ख़ुशी है आज
ईद की ,
तम पर उजियारे का सागर
लहराया है |
फिर पन्द्रह अगस्त आया है |
हरियाली के इस बादल वाले
महीने में ,
इस बूँदों वाले फूलों वाले
महीने में ,
तीज सनूने राखी और भुजरियों
वाले ,
मलहारों के इस झूले वाले
महीने में
स्वतंत्रता का जज्बा अब फिर
अंगड़ाया है |
फिर पन्द्रह अगस्त आया है |
सत्तावन की वह चिनगारी
संघर्षों में ,
यह वह सपना है जो सत्य हुआ
अब जाकर ,
आग बनी आरती शहीदों की बलि
पाकर ,
उसी रक्त से यह प्रभात भी
अरुणाया है |
फिर पन्द्रह अगस्त आया है |
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- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन
नम्बर– 09414771867
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