कवि अयाज़ खान |
झूला
किसी पुराने, मज़बूत टायर में रस्सी बाँधकर
बना लिया गया झूला
घर के सभी बच्चे बारी-बारी झूला झूलते
वह अपने कमरे में लेटी
झूला झूलते बच्चों को देखते रहती
किलकारियों से उसका कमरा गूँजने लगता।
पिछले कई दिनों से झूला ख़ाली था
बच्चे कहीं चले गये थे
वह बच्चों का इंतेज़ार करती रही
इस तरह कई साल गुज़र गये
फिर झूले को निकाल लिया गया।
बच्चों की चीख़-पुकार से उसकी नींद टूटी
सभी बच्चे झूला झूल रहे थे शायद
वह आहिस्ता-आहिस्ता झूले के पास पहुँची
लेकिन झूला अपनी जगह पे नहीं था
उसने गली के बच्चों का शोर सुना था
या वह नींद से जागी थी।
उसने खिड़की से झाँककर देखा-
गली में बच्चे कंचे खेल रहे थे
एक पेड़ पे टायर का झूला बँधा था
परिन्दे झूले पे बैठते, आपस में बतियाते
और एक बार फिर उड़ जाते। **
- अयाज़ ख़ान
114 सग्गम
एमपी वार्ड 11
जुन्नारदेव 480551
ज़िला छिन्दवाड़ा
मध्य प्रदेश
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन
नम्बर– 09414771867
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