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कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - '' ख़ामोशी खड़ी है ''


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )







ख़ामोशी खड़ी है



गया
सब कुछ गया |


रोशनी थी ,
रास्ता था ,
मधु – पगा सब वास्ता था ;


किन्तु
ख़ामोशी खड़ी है ,
ओढ़कर कुछ नया |
गया
सब कुछ गया |


दर्द है ,
हमदर्द गायब ,
मूल हक़ की फ़र्द गायब ;


जुल्मियों के
सर्द दिल में ,
क्या दया ? क्या हया ?
गया ,
सब कुछ गया | **



     - श्रीकृष्ण शर्मा 







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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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