( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के नवगीत - संग्रह
- '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है
)
फटी किनार लिये
आया यहाँ झला पानी का ,
लेकिन डरे – डरे |
नहा रही गौरैया
- खेतों ,
लोट रहा है गदहा
- रेतों ,
मुरझे हैं चेहरे पातों के ,
जंगल धूल भरे |
फटी किनार लिये हैं
- हाथों ,
नदी अभागिन है
- बरसातों ;
उफ़ , किस जालिम ने हड़का कर
,
जलधर किये परे ? **
- श्रीकृष्ण शर्मा
----------------------------------------------------------------
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
धन्यवाद मयंक जी |
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआप सभी को नवगीत पसंद आने के लिए धन्यवाद |
ReplyDeleteसुन्दर काव्य
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब,उम्दा सृजन।
ReplyDelete