सावन
पहनी हो चूड़ी हरी हरी
बिंदी शोभे हरी हरी
पहनी हो साड़ी हरी हरी
आ गया अब सावन की घड़ी
खिल उठी है फूल कली
खिलती है हाथों की मेंहदी
क्या लगती हो रूपवती
अधरों पे मुस्कान खिली
उर में प्रेम की ज्वार फूटी
अंतस्थ भावना जाग उठी
सजनी मैं तो आऊँगा
साज समान ले आऊँगा
सावन में संग झूला झूलूँगा
प्रेम संगीत गुनगुनाऊँगा
नयन से नयन मिलाऊँगा
उर से तुझे लगाऊँगा
अपने हाथों से सजाऊंगा
गले से लिपट जाऊँगा
तुझे आँखों से निहारूँगा
दिल में तुझे बैठाऊँगा
सावन में वाटिका घुमाऊँगा
नौका विहार कराऊँगा
संग शिवालय ले जाऊँगा
प्रेम से पूजन कराऊँगा
हृदर से तुझे लगाऊँगा
पहनी हो चूड़ी हरी हरी **
- संगीत कुमार
जबलपुर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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