गुरु वंदना
तेरी महिमा अपार, आया में तेरे द्वार।
मेरी नैय्या को कर, देना भव से पार ।।
जब से आया हूँ में, तेरी छाया तले ।
मिट गये सारे तम, मुझकों गुरुवर मिले।।
गुरु चरणों की रज से, हो जीवन सफल ।
जो भी आशीष पाता, ना होता विफल ।।
तुम बिन ज्ञान के, दीप कैसे जले ।
बिन गुरु के विधाता भी, कैसे मिले।।
दिया हमको ज्ञान, करते है गुणगान ।
गुरु के नाम का, हमको है अभिमान।।
कोई हमको, हिमालय सी पीर दे।
साथ हे जो गुरु, तो उसे चिर दे ।।
अ से अनपढ़ थे हम, ज्ञ से ज्ञानी बने।
रीती थी मेरी बगियाँ, तुम माली बने।।
विद्या के मंदिर की, तुम वो मूरत हो।
करते दर्शन सभी, तुम वो सूरत हो ।
गुरु ही पूज्य है, गुरु ही सर्व है ।
गुरु वंदन करो, गुरु का पर्व है।।
करो स्वीकार मेरा, नमन गुरुवर ।
भेंट करता "कमल",मेरे पूज्यवर।। **
(अध्यापक)
मु.पो.-अरनोद, जिला:-प्रतापगढ़ (राज.)
मो. 9691921612
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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