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19.7.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - '' हम अपशकुनी ख़त ''


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )













हम अपशकुनी ख़त


शोषण के हाथों
हम हैं सिर्फ़ खिलौने |


जितनी चाबी दी
उतना ही हम डोले ,
जो भरा गया था
हम में
वह ही बोले ;


क्या अपना ?
अपने लिए भले
हम हों चाँदी या सोना |


यों तो हममें भी
हाड़ – माँस औ’ साँसें ,
पर फुरसत किन्हें
जो
हममें मनुज तलाशें ;


हम उनके लिए
घिनौने जूठे दौने |
खुद हम अपशकुनी ख़त ,
जिनके कि फटे कोने | **


  - श्रीकृष्ण शर्मा 






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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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