ज़िन्दगी में क्या घटा ऐसा ?
हादसे होते रहे ,
सोते रहे हम ,
था न हमको दर्द
या गम !
जागते तो
कुछ कसक होती ,
आँख उगते
दर्द के मोती ;
मूर्त होता
इन क्षणों मातम !
जिन्दगी में
क्या घटा ऐसा ?
बढ़ी खुदगर्जी ,
हुआ है अहम पैसा ;
और बौना
हो चला आदम | **
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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