राजनीति
राजनीति बन गई है, जोड़-तोड़ का खेल ।
जिससे होती दुश्मनी, उसी से करते मेल ।।
उसी से करते मेल, तोड़ देते गठबंधन ।
अपने स्वारथ हित करते रहते हैं मंचन ।।
कहता है 'आज़ाद ' दई ये ग़ज़ब की नीति ।
तोड़-फोड़ का खेल है बन गई राजनीति ।।
जिससे की थी दोस्ती, वह हो गया हैरान ।
सब पे पानी फेर दी अब क्या करूँ निदान ।।
अब क्या करूँ निदान न कुछ भेजे में आता ।
नज़र न सके मिलाय वही है आँख दिखाता।।
कहता है आज़ाद, भिड़ गए टांके उससे ।
भाड़ में जाये वो, दोस्ती की थी जिससे ।।
एक कुरसी के वास्ते, लगी आबरू दाँव।
कुछ भी अब हो जाय पर, नहीं हटेंगे पाँव।।
नहीं हटेंगे पाँव, सियासत कुछ भी कर लो।
करो खरीद-फरोख्त,जो मनआये वो कर लो।।
कहता है आज़ाद, नज़र में गड़ गई कुरसी ।
ग्राहक दिखत तमाम ,मगर है एक ही कुरसी || **
- रामचन्दर
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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