( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है )
ऐसी आग भरो !
ऐसी आग भरो !
कोई ऐसी बात कहो जो हास
जगाए , पुलक बिखेरे
कोई ऐसा काम करो जो बंधन
चटकें , टूटें घेरे !!
कुम्हलाए उदास चहेरों पर
है कितनी मायूसी छाई ,
चिन्ताओं ने है ललाट पर
गहरी वक्र लकीर बनाई ;
गाज गिरी हो ऐसा मन है ,
डसा साँप ने ऐसा तन है ,
कोई मरा पड़ा हो ऐसा
हुआ मातमी घर – आँगन है ;
सब अपने – अपने में खोए
बीहड़ जंगल सिर पर धोए ;
कोई ऐसी आग भरो , दुख – ताप
जलें , उजलायें सवेरे !
कोई ऐसी बात कहो जो हास
जगाए , पुलक बिखेरे !! **
----------------------------------------------------------
संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
No comments:
Post a Comment
आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |