( कवि श्रीकृष्ण शर्मा
के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है )
छेड़ो मत
छेड़ो मत , अपनी ही पीड़ा में
खोया जो ,
फूट पड़ेगा , चुप है , अभी –
अभी सोया जो ||
क्षत – विक्षत जो की हुआ
सुबह के लिए लड़कर ,
उसकी ही काया पर
लिपटे सौ – सौ विषधर ,
जिनको काँधे लेकर
शाही सम्मान दिया ,
पीते हैं वही रक्त
अब पिशाच सिर चढ़कर ;
पर उनको एक दिवस चखना ही
होगा वो ,
उनने इस धरती में कालकूट
बोया जो |
छेड़ो मत , अपनी ही पीड़ा में
खोया जो ,
फूट पड़ेगा , चुप है , अभी –
अभी सोया जो || **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
शास्त्री जी आपको बहुत - बहुत धन्यवाद |
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